हैलो दोस्तों, मेरा नाम अखिल है, और मैं एक बार फिर हाजिर हूं आपके लिए एक जबरदस्त सेक्स कहानी के साथ। तो जो लड़के हैं, वो अपने कच्छे को उतार लो, और जो लड़कियां है, वो भी अपनी पेंटी को उतार कर तैयार हो जाओ, मेरे साथ इस सेक्स कहानी को एंजॉय करते हुए अपना पानी निकालने के लिए।
ये कहानी आज से 2 साल पहले की है, और इस कहानी के किरदार है मैं और मेरी चुदक्कड़ दीदी। मेरे बारे में तो आप सब जानते ही है, और अगर नहीं जानते तो मैं एक बार फिर बताना चाहूंगा। मेरी उम्र 22 साल है, और मैं एक अच्छी कद-काठी का व्यक्ति हूं। मेरी हाईट है 6’2″, और मेरा लंड 7″ लंबा और 3″ मोटा है।
अब मैं आपको अपनी दीदी के बारे में बताता हूं। उनकी उम्र है 32 साल, हाईट है 5’3″, रंग गोरा, और एक भरे हुए बदन की मालकिन है वो। उनका फिगर 34-26-36 का है। उनके दूध और गांड अगर कोई एक बार देख लेता है तो वो बिना मुठ्ठी मारे नहीं रह सकता। बिल्कुल रसीले आमों की तरह उनके दूध है। देखने के बाद दिल करता है कि उनके ये आम पकड़ कर चूसता रहूं।
खेर अब कहानी शुरूर करते है। मेरी दीदी का घर जिस जगह है, उनके घर के आस-पास लगभग 10 किमी दूर-दूर तक कोई भी घर नहीं है। उनके परिवार में सिर्फ 4 लोग ही है। उनके सास-ससुर दीदी और जीजू। जीजू वहीं पास की ही एक कंपनी में जॉब करते हैं, और दीदी हाउसवाइफ हैं।
ये बात उस वक्त की है, जब दीदी और जीजू का एक बेटा भी था, लगभग 1 साल का। पर वो बहुत बीमार रहता था। बीमारी के चलते वो बच्चा सरवाइव नहीं कर पाया। जब हमें इस बात का पता चला तो हमें भी बहुत धक्का लगा। तो सोचो दीदी और जीजू का क्या हाल हुआ होगा। दीदी तब से बहुत उदास रहने लगी थी। इस बात को बीते हुए अभी कुछ दिन हुए थे। जीजू और उनके सास-ससुर से उनकी ये हालत देखी नहीं जा रही थी। उन्होंने सोचा कि इसको कुछ दिनों के लिए इसके माइके छोड़ आते है, या फिर माइके से इसके छोटे भाई को यह बुला लेते है। कुछ दिन यहां रहेगा, तो दीदी का मन भी कुछ ठीक हो जाएगा।
इसी बात के चलते एक दिन मेरे पास जीजू की कॉल आती है, और वो मुझे अपने घर आने के लिए बोलते है। वो दीदी की हालत भी बताते है, तो मैं दीदी के घर जाने के लिए मान जाता हूं। मैं आपको बता दूं कि तब तक मेरे दिल में मेरी दीदी को लेकर कोई भी गंदा खयाल नहीं था। मैंने उसी रात को अपना सामान पैक कर लिया, और अगली सुबह मैं दीदी के घर के लिए निकल गया, और शाम से पहले मैं वहा पहुंच गया था।
मुझे देख कर मेरी दीदी खुश हो गई, और मुझे अपने गले से लगा लिया। उस वक्त तक मेरे लिए ये सब नॉर्मल ही था। वो मेरी दीदी थी, और मैं उनका छोटा और प्यारा भाई। मैंने मौसा-मौसी को पैर छू कर नमस्ते किया। दीदी मेरे लिए नाश्ता लेने के लिए किचन में चली गई, और मैं मौसा-मौसी के पास बैठ कर बातें करने लगा।
थोड़ी देर बाद दीदी नाश्ता लेकर आई और हम सब ने फिर एक साथ नाश्ता किया। मैंने दीदी से जीजू के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वो ड्यूटी गए थे, और रात तक ही वापस आएंगे। नाश्ता करने के बाद दीदी किचन में खाना बनाने के लिए चली गई, और मैं छत पर टहलने लगा। थोड़ी देर बाद जीजू भी अपने काम से वापस आ गए थे। उनके आने के बाद हमने कुछ देर बातें की, और फिर सब ने साथ बैठ कर खाना खाया।
खाना खाने के बाद सोने की तैयारी होने लगी। मेरा बिस्तर दीदी ने अपने रूम में ही लगा दिया था। मैंने खाना खा कर थोड़ी देर छत पर टहलने की सोची, तो मैं छत पर कुछ देर टहला। फार घर पर बात की और फिर नीचे सोने के लिए आ गया। नीचे आकर मैंने देखा कि जीजू सो चुके थे, क्योंकि उनको कल सुबह फिर से जॉब पर जाना था, और दीदी अभी किचन में सारा काम खतम करने में लगी हुई थी।
काम खतम होते ही दीदी भी रूम में आकर अपने बिस्तर पर लेट गई थी, और मैं अपने बिस्तर पर लेट कर अपना मोबाइल देख रहा था। दीदी ने मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछा, कुछ इधर-उधर की बातें की, और बात करते-करते मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला।
रात के करीब 2 बजे मेरी आंख खुलती है तो मैं देखता हूं कि दीदी अपने बिस्तर पर नहीं थी। मैं उनको ढूंढते हुए बाहर निकला तो मुझे किचन का गेट खुला हुआ मिला। मैं किचन की तरफ गया, तो मैंने जो देखा मैं वो देख कर दंग रह गया। मेरी आंखे फटी की फटी रह गई।
मैंने देखा दीदी अपने चूचों को दबा रही थी, और उनमें से दूध निकल रहा था। दूध की वजह से दीदी के चूचे बहुत टाइट हो गए थे, जिससे वो बिल्कुल फटने को तैयार थे। और इसकी वजह थी दीदी का बेटा जो उनका दूध पीता था। तो इसलिए अब दूध की वजह से उनके चूचे फूल गए थे, और दीदी को दर्द होने की वजह से वो उनका दूध दबा-दबा कर निकाल रही थी।
ये सब देख कर मैं वही रुक गया और दीदी के बड़े-बड़े और गोरे गोल-मटोल चूचों को देखता रहा। दीदी जैसे-जैसे अपना दूध दबा रही थी, उनके मुंह से एक सीसकी सी निकल रही थी, और ये सब देख कर मेरा लंड तन गया था और झटके मार रहा था।
अब दीदी को देखने का मेरा नजरिया बिल्कुल बदल चुका था। मुझे वो अपने दूध दबाती हुई और सिसकती हुई बहुत प्यारी लग रही थी, और मुझे उन पर बहुत प्यार भी आ रहा था। मेरा दिल कर रहा था कि मैं दीदी के पास जाकर, उनकी मदद कर दूं। उनके दोनों चूचों का दूध अपने मुंह से चूस लूं। उनको जोर-जोर से दबाऊं, और सारा दूध पी जाऊं। जब दीदी ने अपना दूध निकाल दिया, तो उनको कुछ आराम मिला। फिर जैसे ही वो अपने कपड़े ठीक करके रूम में आने के लिए हुई, मैं वापस अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया।
मेरे बाद दीदी भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और सो गई। पर मेरी नींद तो उड़ चुकी थी। दीदी के बड़े-बड़े दूधो को देख कर मेरा और मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था। मैं दीदी के बारे में सोचना बंद ही नहीं कर पा रहा था। जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उठ बाथरूम में गया, और दीदी के नाम की पहली मुठ मारी, और आकर सो गया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। कहानी की फीडबैक देने के लिए पर मेल करें।